आज सुबह 6 बजे “बद्री विशाल लाल की जय घोश” के साथ भक्तों के लिए उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए है। आर्मी बैंड की मधुर धुनों की झंकार और वैदिक मंत्रोच्चार से भक्तों का स्वागत किया गया,
पूरे धाम को बहुत ही खूबसूरती से फूलों से सजाया गया और श्रद्धालु भी सैकड़ों की संख्या में वहा मौजूद थे। 6 महीने के लम्बे इंतजार के बाद अब भक्तों का इंतजार खत्म हो गया है।

यह तीर्थ हिंदुओं के चार प्रमुख धामों में से एक है, साथ ही भक्तों के लिए श्रद्धा व आस्था का अटूट केंद्र भी है। इस धाम के बारे में कहावत है कि-“जो जाए बद्री,वो न आए ओदरी”यानि जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है उसे माता के गर्भ में दोबारा नहीं आना पड़ता यानी व्यक्ति जन्म और मृत्यु के चक्र से छूट जाता है। बदरीनाथ धाम के साथ ऐसी कई मान्यताएं जुड़ी हैं। जैसे की इसे भगवान विष्णु का दूसरा निवास स्थान भी कहा जाता है। आपको बता दे की बदरीनाथ में स्थित भगवान बदरीनाथ की मूर्ति को स्वयंभू यानी स्वयं प्रकट हुआ माना जाता है, जो योग मुद्रा में विराजमान हैं। शीतकाल के दौरान जब कपाट बंद रहते है तो भगवान बदरीनाथ की पूजा श्रद्धालु नृसिंह मंदिर जोशीमठ और पांडुकेश्वर में करते हैं। सिर्फ मंदिर और मूर्ति की ही नहीं यहां अखंड ज्योति का भी बहुत महत्व है। क्या आपको भी मंदिर के कपाट खुलने का इंतजार था और आप भी बदरीनाथ धाम से जुडी पौराणिक कथाओं में विश्वास करते है?
The Newswala Network की तरफ़ से सभी श्रदालुओं को मंदिर के कपाट खुलने की हार्दिक शुभकामनाएं।

