उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र में बहुप्रतीक्षित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक को सदन में पेश करने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने अपनी मंजूरी दे दी है।रविवार देर सायं मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में प्रस्तावित यूसीसी विधेयक को विधानसभा के पटल पर रखने पर विचार किया गया। सत्र आहूत होने के कारण बैठक के संबंध में औपचारिक रूप से जानकारी नहीं दी गई।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मंत्रिमंडल ने बहुचर्चित प्रस्तावित यूसीसी विधेयक को सदन में पेश करने की अनुमति दे दी है। सोमवार से शुरू हो रहे सत्र में इसे पेश कर पारित कराना सरकार की प्राथमिकता होगी। यह भी उल्लेखनीय है कि यह सत्र यूसीसी विधेयक पारित करने के उद्देश्य से ही आहूत किया गया है। देखना यह भी होगा कि राज्य निर्माण आंदोलनकारियों के लिए क्षैतिज आरक्षण से संबंधित विधेयक को सरकार इस सत्र में पेश कर पाती है या नहीं।
उत्तराखंड में यूसीसी को लेकर हलचल तेज हो गई है। विधानसभा सत्र को देखते हुए जिला प्रशासन ने विधानसभा परिसर के आसपास 300 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू कर दी है। देहरादून की जिलाधिकारी सोनिका ने रविवार को कहा कि सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र के दौरान इस क्षेत्र में संगठनों और समुदायों के प्रदर्शन जैसी गतिविधियों पर प्रतिबंध रहेगा।
नागरिक संहिता के मसौदे पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। समिति ने चार खंड में यूसीसी के मसौदे के साथ लगभग 749 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी। इसे चर्चा के लिए छह फरवरी को राज्य विधानसभा में पेश किया जाएगा।उत्तराखंड में 2022 में भाजपा ने यूसीसी के मुद्दे को सर्वोपरि रखते हुए वादा किया था कि सरकार बनते ही इस पर काम किया जाएगा। धामी सरकार ने यूसीसी के लिए कमेटी का गठन किया।
जिसने डेढ़ साल में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया। विधानसभा में इसके पास होने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा। सूत्रों के अनुसार इससे बढ़ाई लड़कियों की विवाह की जाएगी, जिससे वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें। विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी। पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं। बहुविवाह पर रोक लगेगी।

