उत्तराखंड की औद्योगिक नगरी रुड़की इस समय एक गंभीर संकट से जूझ रही है। लगातार बढ़ते जलभराव ने हालात को इतना बिगाड़ दिया है कि नगर निगम रुड़की की मेयर अनीता देवी अग्रवाल और उनके प्रतिनिधि ललित मोहन अग्रवाल को मुख्यमंत्री से सीधे गुहार लगानी पड़ी।
आज देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर मेयर ने एक चेतावनी भरा पत्र सौंपा। इस पत्र में साफ कहा गया है कि अगर रुड़की में जलभराव की समस्या को समय रहते गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आने वाले वर्षों में यह मानवीय आपदा का रूप ले सकती है।

मुख्यमंत्री धामी ने हालात की गंभीरता को देखते हुए जिला अधिकारी हरिद्वार को तुरंत समाधानात्मक कदम उठाने के निर्देश दे दिए हैं।
रुड़की के प्रमुख मोहल्ले—सलेमपुर, सुनहरा, कृष्णा नगर, राजेंद्र नगर, सुभाष नगर, शेखपुरी, शिवपुरम और गणेशपुर समेत कई क्षेत्रों में बरसात के दौरान जलभराव लोगों के लिए बड़ी परेशानी बन चुका है। निगम की ओर से डीजल और इलेक्ट्रिक पंपों के जरिए पानी निकालने की कोशिश तो की जा रही है, लेकिन संसाधनों की कमी से यह काम अधूरा साबित हो रहा है।
पत्र में खास तौर पर उन क्षेत्रों का जिक्र है जहां तुरंत नाले, नालियां और पुलिया बनाने की आवश्यकता है। इसमें रामपुर चुंगी से सपना टॉकीज तक, आजाद नगर से शीला खाला तक और औद्योगिक क्षेत्र से सपना टॉकीज तक के मार्ग शामिल हैं। इन नालों और पुलियों की कुल लंबाई 10 से 15 किलोमीटर बताई जा रही है, जिस पर करीब 200 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है।
नगर निगम का कहना है कि यदि तुरंत बजट और योजना के तहत निर्माण कार्य शुरू नहीं किए गए, तो यह जलभराव आने वाले समय में न सिर्फ स्थायी समस्या बनेगा बल्कि जनजीवन को भी गंभीर खतरे में डाल देगा।
अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इस चेतावनी को कितनी गंभीरता से लेती है और रुड़की की जनता को राहत दिलाने के लिए कितनी जल्दी ठोस कदम उठाए जाते हैं।


